मुसाफिर

                       मुसाफिर

 मुसाफिर हूँ , मुसाफिर रहने दो,

 क्यों छेड़ते हो जनाब हमे दीवाना बनाकर,

 मुसाफिर हूँ, मुसाफिर रहने दो।


मुलाकातों से जी भरता नहीं ,

मुक्कम्मल होना तुम चाहती नहीं,

क्या  ये  मुक्कदर का खेल है,

नहीं ,  शायद ये रिवाज़ों का दौर है।

मुसाफिर हूँ , मुसाफिर रहने दो।

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