Sir Gd agrawal (ganga putra) को समर्पित मेरी कुछ पंक्तिया. ये पंक्तियां हम लोगो को उनके त्याग का स्मरण कराती है। हम सर के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देंगे।






माँ तेरे चरणों में शीर्ष झुका कर ,
मैं छमा मांगना चाहता हूँ ,
सपना देखा जो, तेरी आज़ादी का
 सुबह उठा तो कही खो गया,

अब निकल पड़ा हूँ एक नए भ्रमण पर,
फिर वापस लौट कर आऊंगा,
सपना तेरा जो खो गया माँ,
वापस खोज कर लाऊँगा,
फिर तुझको आज़ाद कराऊंगा।

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