अब मैं उड़ना चाहता हूँ,
खड़ी है, जिन्दिगी बगल मेरे,
उसे गले लगाना चाहता हूँ,
जो ख्वाब दिल में उतर आया है,
उसे पूरा करना चाहता हूँ,
अब मैं उड़ना चाहता हूँ,
अब मैं उड़ना चाहता हूँ।
मुक्कदर को सीपियों में कैद कर,
मोती ले जाना चाहता हूँ,
इन लकीरो को हाथों से मिटा कर ,
नई कहानी लिखना चाहता हूँ,
अब मैं उड़ना चाहता हूँ
अब मैं उड़ना चाहता हूँ।
एक नज़रिया है , ज़हन में मेरे ,
जिससे लोगों को वाकिफ़ कराना चाहता हूँ,
मगर अभी है , संशय के घेरे में ये,
इस घेरे को अब तोड़ना चाहता हूँ।
अब मैं उड़ना चाहता हूँ
अब मैं उड़ना चाहता हूँ।
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ReplyDeleteSir bahot badiya
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