लगता है , अब कहीं खो गया हूँ मैं,
अब तेरी याद ज़रा कम आती है।
अब तेरी याद ज़रा कम आती है।
लगता है अब होश में आने लगा हूँ मैं,
अब तेरे आने का इंतज़ार नहीं रहता मुझे।
अब तेरे आने का इंतज़ार नहीं रहता मुझे।
शायद मक़सद कुछ और था जिन्दिगी का,
बस थोड़ा भटक गया था शायद,
फिर वापस मुस्कुराने की वजह टटोल रहा हूँ मैं।
बस थोड़ा भटक गया था शायद,
फिर वापस मुस्कुराने की वजह टटोल रहा हूँ मैं।
Comments
Post a Comment